वीर को किसी भी मंद बुद्धि व तुच्छ विचारों वाले व्यक्ति ने माफीवीर कह कर अपमानित कहा तो उस को थप्पड़ मारूंगा : अभिनेता रणदीप,
आजादी का सच्चा वीर नायक "सावरकर" 22 मार्च को बड़े पर्दे पर आ रहा है।
आजादी के सच्चे नायक "स्वातंत्र्य वीर सावरकर" की जीवनी पर बनी फ़िल्म "वीर सावरकर" को बड़े पर्दे पर अभिनेता रणदीप हुड्डा लेकर आये है फ़िल्म के लिए रणदीप ने 3 वर्ष तक निरन्तर कठोर मेहनत की है और सावरकर के चरित्र को न्याय के साथ जींवत किया है,
फ़िल्म की शूटिंग के दौरान वीर सावरकर जैसे देश के सच्चे महान नायक की जीवन कहानी को याद करते हुए हुड्डा कई बार भावुक हुए है कि "स्वतंत्रता के आंदोलन में जितनी यातनाएं वीर सावरकर ने देश की आज़ादी के लिए सहन की उतनी किसी ने भी नही की ! महात्मा गांधी ने भी नही की ! रणदीप बताते है कि कोई भी मंद बुद्धि का कम पढ़ा लिखा नीच प्रवृत्ति का व्यक्ति अपने स्वार्थों कें लिये वीर सावरकर को माफी वीर बोल कर अपमानित करता है तो वे उसको थप्पड़ मारेंगे ऐसे देश द्रोही का कान पकड़वा कर उस को उठक बैठक लगवाएंगे। हुडा कहते है वीर सावरकर जैसे महान नायक को अपमानित करने वाली कांग्रेस के एक भी नेता ने स्वतंत्रता आंदोलन में बलिदान नही हुआ था। आज भी कांग्रेस का कोई भी नेता वीर सावरकर की सेलुलर जेल में 1 दिन रह कर बता दें तो उन्हें पता लग जायेगा सावरकर की यातनाएं , फिर सावरकर को अपमानित क्यो ?
वास्तविकता के साथ यह विडंबना है की आजादी के बाद भी कांग्रेस के नेतृत्व कर्ता और भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने अंग्रजों के साथ हुए गुप्त समझौते के साथ वीर सावरकर को देश की आजादी के बाद भी जेल में रखा गया।वे देश के मात्र व्यक्ति थे जिन्हें आजादी के बाद भी जेल रखा गया,देश की स्वतंत्रता के लिए आंदोलन चलाने पर जिनको दो बार कालापानी की सजा हुए जिनका पूरा जीवन यातनाओं के साथ काल कोठरी (सेलुलर जेल) में बिता। एक जेल में स्वयं हो और बगल की जेल सगा भाई हो,पत्नी सहित सभी भाईयों को बलिदान हुआ हो उस वीर सावरकर को स्वतंत्रता के बाद भी जेल में रखा गया आखिर क्यों ? जबकि जिन अंग्रेजो ने हम को गुलाम बनाया लुटा, मारा उन सब को बिना सजा के छोड़ दिया। आखिर क्यों ?
वीर सावरकर एक मात्र नायक है जिनका का पूरा का पुरा परिवार स्वतंत्रता के आंदोलन में शहीद हुआ फाँसी पर लटका कालापानी की सजा हुई ऐसे परम वीर योद्धा को फ़िल्म "वीर स्वातंत्र्य वीर सावरकर" फ़िल्म सच्ची श्र्द्धांजलि देती है।
फ़िल्म में वीर सावरकर की ह्रदय को छूने वाली सशक्त भूमिका रणदीप हुडा ने की है जिनके हर संवाद पर दर्शक दाद देंगे है रणदीप के मित्र जय पटेल ने श्यामजी कृष्ण का किरदार निभाया है कर सब को प्रभावित करने वाली भूमिका निभाई है।
वीर सावरकर का हजारो मील समुद्र को पार कर के आना, कालापानी की सजा ,सेलुलर जेल आदि के दृश्य रोंगटे खड़े कर देते है।फ़िल्म का बैक ग्राउंड साउंड व संगीत बहुत दमदार है।
हर भारतवासी को यह फ़िल्म एक बार नही दो बार देखनी चाहिए औऱ स्वतंत्रता आंदोलन के सब से बड़े नायक को सम्मान देना चाहिए।
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आलेख
जीतेन्द्र शर्मा
संस्थापक
शुभ विचार भारत
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